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उत्तराखंड: बेटे को तिरंगे में लिपटे देख मां बोली-‘मेरा शेर आ गया…’. शहीद बेटे से लिपट कर बिलखने लगीं टीकम सिंह नेगी की मां,

उत्तराखंड: बेटे को तिरंगे में लिपटे देख मां बोली-‘मेरा शेर आ गया’..शत शत नमन
शहीद बेटे को तिरंगे में लिपटा देख बिलखने लगीं टीकम सिंह नेगी की मां, बोलीं ‘ मेरा शेर आ गया
देहरादून: भारत-चीन सीमा पर शहीद हुुए उत्तराखंड के आईटीबीपी में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर तैनात रहे टीकम सिंह नेगी का पार्थिव शरीर बीते दिन देहरादून पहुंचा।
देहरादून जिले के सेलाकुई क्षेत्र के रहने वाले थे। उनकी अंतिम यात्रा के दौरान हर किसी की आंखें नम थीं,हर कोई हताशा से भरा हुआ था,मगर टीकम सिंह की मां ने खुद को सम्भाला और बेटे के शव को देख कर कहा “मेरा शेर आ गया”। शाम को करीबन साढ़े तीन बजे शहीद जवान का शव देहरादून पहुंचा जिसको देखते ही परिजनों का बिलखना शुरू हो गई। उनकी मां मनोरमा नेगी भी टूट गईं और बेटे के पार्थिव शरीर को देख कर बोलीं, मेरा शेर आ गया। इस दौरान हर किसी की आंखें भर आईं। परिजनों और लोगों ने किसी तरह मां मनोरमा नेगी को हिम्मत दी। जवान की बूढ़ी दादी भी अपने पोते को तिरंगे में लिपटा देख खुद को संभाल न सकीं और बिलख बिलख कर रोने लगीं।टीकम सिंह नेगी अपने खानदान के इकलौते चिराग थे।
टीकम सिंह नेगी की पिछली दो पीढियां सेना में सेवा दे चुकी हैं। उनके दादा स्वर्गीय सुंदर सिंह नेगी फौज में थे। वे हवलदार के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। उनके पिता राजेंद्र सिंह नेगी भी फौज में भर्ती रहे हैं। वे सूबेदार मेजर के पद से रिटायर्ड हुए थे। यही वजह थी कि परिवार की सैन्य परंपरा को आगे बढाते हुए शहीद टीकम सिंह नेगी ने भी आर्मी जॉइन की।टीकम सिंह नेगी के परिजनों ने उनके शहीद होने पर आईटीबीपी के अधिकारियों के समक्ष नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें जवाब चाहिए कि उनका बेटा कैसे शहीद हुआ। टीकम सिंह अपने पीछे एक छोटा बेटा,पत्नी, माता पिता और बूढ़ी दादी छोड़ कर गए हैं।

उत्तराखंड वार्ता

उत्तराखंड वार्ता समूह संपादक

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