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गायक वीरू जोशी की संघर्ष की कहानी

देहरादून | उत्तराखंड वार्ता | किसी ने खूब कहा है की सपने देखने वाले को हिम्मत देने वाले मज़बूत हाथ मिल जाये तोह तस्वीर बदलते देर नहीं लगती फिर चाहे हालत कितने भी मुश्किल क्यों न हो|

हमारे देवभूमि उत्तराखंड के गायक श्री वीरू जोशी जी ने एक दुर्घटना मैं दिव्यांग हो जाने के बाद भी हिम्मत नहीं हरी और उत्तराखंड मैं गायन के छेत्र मैं एक अलग मुकाम हासिल किया|

1 जनवरी 1983 को जन्मे श्री वीरू जोशी जी का सपना आर्मी ज्वाइन करने का था लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था उनका यह सपना उस वक़्त चकनाचूर हो गया जब एक सड़क दुर्घटना मैं वह दिव्यांग हो गए लेकिन उनके अंदर कुछ कर गुजरने का जज़्बा ऐसा था की वीरू जोशी ने हार नहीं मानी और निकल पड़े अपने संघर्ष से एक नयी कहानी लिखने|

उन्होंने अपनी ज़िन्दगी की शुरुवात की और गायकी की दुनिया मैं एक के बाद एक नए आयाम हासिल किये उन्होंने उत्तराखंडी गीतों को लिखा साथ साथ उन गीतों को अपनी आवाज़ भी दी उनके इस जीवन संघर्ष मैं उनका साथ कई लोगो ने दिया जिनमे ममतामयी माता मंगला जी और परम श्री भोलेजी महराज जी का भी खास योगदान रहा है|

वीरू जोशी के इस संघर्षमय जीवन मैं उन्होंने सदैव अपने अलावा हटकर भी लोगों क लिए काफी मदद करि और कर रहे हैं उनके द्वारा गाए गीत और लाइव शो के माध्यम से जो भी कमाई होती है उससे वह लोगो की मदद भी करते है धन्य है देव भूमि उत्तराखंड की धरती धन्य है उनके माता पिता जिन्होंने उनके जैसा सुपुत्र इस देव भूमि उत्तराखंड को दिया|

उन्होंने एक ऐसी मुहीम शुरू की है जो दूसरे दिव्यां कलाकारों के लिए एक मिसाल हैं चमोली के चेपडूँ गांव के श्री वीरू जोशी फेसबुक यूट्यूब पर लाइव कर पैसा कमाते हैं और लोगों की मदद करते हैं | 27 मई 1999 को सड़क हादसे मैं उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई थी किन्तु उन्होंने अपना हौसला नहीं खोया और अपनी आवाज़ को जीने का जरिया बना दिया|

हमारा प्रयास रहेगा की हम उनके बारे मैं ज्यादा से ज्यादा जानकारी आपतक लेकर आये

हमारा उद्देश्य : यह है की आप सभी लोगों को वीरू जोशी जी के बारे मैं ज्यादा से ज्यादा जानकारी मिले उन्हें फॉलो करने क लिए निचे दिए गए सोशल मीडिया के माध्यम से आप उनको फॉलो और लिखे करे धन्यवाद|

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उत्तराखंड वार्ता

उत्तराखंड वार्ता समूह संपादक

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