एशिया की सबसे बड़ी झील का जलस्तर बढ़ने से करोड़ों की संपत्ति का हुआ नुकसान, पढ़िए खबर अपडेट
देहरादून । टिहरी गढ़वाल। एशिया के सबसे बड़े टिहरी डैम की झील का जलस्तर 829.50 आरएल मीटर पहुंच गया, जिसके बाद क्षेत्र में हड़कंप मचा हुआ है। वहीं, जलस्तर लगातार बढ़ने से कोटी कॉलोनी में पर्यटन विभाग के द्वारा बनाये गए आस्था पथ, टेंट, फुटपाथ, पर्यटकों को आने-जाने के रास्ते, यात्री विश्राम शेड, डूब गए हैं। ऐसे में कोटी कॉलोनी के किनारे बोटिंग प्वाइंट पर बोटिंग करने के लिए आ जा रहे पर्यटकों को आने जाने की समस्या से जूझना पड़ रहा है ।
राज्य सरकार ने हाल ही में झील के जलस्तर 830 आरएल मीटर तक पानी भरने की अनुमति दी थी। ऐसे में झील का जलस्तर स्तर अब 830 आरएल मीटर के करीब पहुंच गया है. जिससे स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल है। आश्चर्य की बात ये है कि पर्यटन विभाग के द्वारा बनाई गई करोड़ों की संपत्ति झील में डूब गई है. पर्यटन विभाग के अधिकारी भी टिहरी झील का जलस्तर बढ़ने से विभागीय संपत्ति के हुए नुकसान की तस्दीक कर रहे हैं। वहीं, टिहरी बांध परियोजना के अधिशासी निदेशक उमेश कुमार सक्सेना ने कहा कि 835 आरएल मीटर के नीचे जलस्तर की जितनी भी संपत्ति है, वह टीएचडीसी की है। 835 आरएल मीटर से नीचे जो भी संपत्ति का निर्माण करता है, उसका जिम्मेदार वही है, जबकि पहले से ही तय है कि टिहरी झील का जलस्तर 830 आरएल मीटर तक देर सबेर भरना तय है। गौरतलब है कि टिहरी झील से प्रभावित 415 परिवारों के विस्थापन के मामला अभी भी लटका हुआ है. जिसे लेकर कुछ दिनों पहले ही एक बैठक हुई. थी। जिसमें भारत सरकार के ऊर्जा मंत्री, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, ऊर्जा सचिव, टिहरी जिलाधिकारी
ईवा आशीष श्रीवास्तव और टीएचडीसी के अधिकारियों शामिल हुए थे। जिसमें बांध प्रभावित 415 परिवारों के विस्थापन पर सहमति बनी और टीएचडीसी ने टिहरी झील को 830 आरएल मीटर भरने की अनुमति मांगी गई थी। जिस पर राज्य सरकार ने हामी भर दी थी और स्थानीय लोग इस निर्णय से नाराज हैं।