एक उदाहरण ऐसा भी, पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती, पढ़िए पूरी खबर
देहरादून । उत्तराखंड, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती है?
आज चमोली की बेटी कमला देवी ने सिद्ध कर दिया कि पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती है,आइए आपको मिलाते है, चमोली जिले की बेटी बुवारी से जिसने आज सबकी आंख खोल दी,कमला ने उत्तराखण्ड की जनता से सुझाव मांगा है मैं अपनी एक बात आज शेयर कर रही हूं जो आज से पहले कभी नहीं हुआ, आज मैंने भी 12वीं_पास कर ली है सवाल बहुत सारे हैं कारण जो भी रहे होंगे संक्षिप्त में आप सभी को बताना चाहती हूं जब मैं अविवाहित थी तब मैंने आठवीं पास किया था।
बेहद गरीबी और स्कूल दूर होने के कारण मैं आगे नहीं पढ़ पाई जबकि मैं पढ़ना चाहती थी मेरे साथ के सभी सहपाठियों ने आगे पढ़ाई जारी रखी इस बात का मुझे बहुत अफसोस था। कि मैं नहीं पढ़ पाई समय बीतता गया फिर शादी हो गई। ससुराल में भी सारी जिम्मेदारी निभानी होती है मेरे बच्चे भी काफी बड़े हो गए थे कुछ वर्ष पहले ही हमारे गांव में प्राथमिक विद्यालय मैड ठेली में एक शिक्षक की कमी थी ग्राम प्रधान एवं सभी ग्रामीणों की आपसी सहमति से कुछ महीने मैंने वहां पर बच्चों को पढ़ाया उसी दौरान विद्यालय की प्रधानाअध्यापिका से बात हुई क्योंकि उनको भी विश्वास नहीं था कि मैं आठवीं पास थी, तब उन्होंने मुझे आगे पढ़ने का सुझाव दिया जो मेरे लिये असंभव भी था, मन में पढ़ने की इच्छा भी थी। क्योंकि आज के समय में पढ़ाई बहुत जरूरी है। खासकर बेटियों के लिए मेरे बच्चे उस समय खुद छठवीं आठवीं कक्षा में पढ़ रहे थे। हाईस्कूल के बाद आज आखिरकार 12वीं पास करने के बाद वर्षों पहले का सपना साकार हुआ।
एक ग्रहणी होने के नाते घर का सारा काम काज, बच्चों की देख रेख व खेती बाड़ी सब कुछ जिम्मेदारी होती है। और थोड़ा बहुत गांव एवं क्षेत्र के हित में समाज सेवा करने की कोशिश करती हूं जितना मुझसे संभव हो पाता। इस पोस्ट को शेयर करने का मतलब यही है। समाज में भी एक अच्छा संदेश जाए। ताकि शिक्षा से कोई वंचित न रहे खासकर बेटियों चाहे परिस्थितियां कुछ भी हो।
जीवन का यह संघर्ष फिल्म के माध्यम से भी देश एवं प्रदेश में जरूर देखने को मिलेगी। मेरा मार्गदर्शन एवं आशीर्वाद के लिए दिल की गहराइयों से आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद
कमला रावत /सामाजिक कार्यकर्ता