उत्तराखंडदेहरादून

कर्मियों को राजस्व वादों के निस्तारण और अभिलेखों के बेहतर रखरखाव का दिया गया प्रशिक्षण

देहरादून। जिलाधिकारी डाॅ आशीष कुमार श्रीवास्तव ने द्वारा एक अभिनव पहल करते हुए राजस्व के वादों के निस्तारण और अभिलेखों के बेहतर रखरखाव के सम्बन्ध में राजस्व कार्मिकों के प्रशिक्षण से सम्बन्धित गोष्ठी का आयोजन किया गया।

कलेक्टेट के एनआईसी सभागार में आयोजित की गयी इस गोष्ठी से सभी तहसील स्तरीय अधिकारी वीडियोकान्फ्रेसिंग के माध्यम से जुड़े हुए थे तथा वरिष्ठ अधिवक्ताओं द्वारा राजस्व वादों को तथा भूमि सम्बन्धित विवादों को मिनिमाइज करने और भू-रिकार्ड को अधिक व्यवस्थित बनाने के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण सुझाव दिए।

जिलाधिकारी ने इस दौरान सभी उप जिलाधिकारियों और अन्य अधीनस्थ राजस्व कार्मिकों को भूमि-अभिलेखों के प्रबन्धन और इससे जुड़े राजस्व वादों में कमी लाने के लिए आज प्रशिक्षण में सुझाए गए बिन्दुओं पर प्राथमिकता से संज्ञान लेते हुए उसे दैनिक कार्यप्रणाली में अमल में लाने के निर्देश दिए।

जिलाधिकारी ने कहा कि बहुत लम्बे समय से भूमि सर्वे, रिकार्ड किपिंग और वादों के निस्तारण की पहले की प्रक्रिया में व्यावहारिक रूप से बड़ा बदलाव आ गया है और कुछ जरूरी अपनाई जाने वाली प्रक्रिया का ठीक ढंग से अनुपालन ना होने के चलते भू-अभिलेख और राजस्व रिकार्ड से सम्बन्धित विवादों में वृद्धि हो रही है।

इसी को मद्देनजर रखते हुए राजस्व कार्मिकों को व्यावहारिक और चयनित बिन्दुओं में सुधार करने के लिए प्रशिखण गोष्ठी का आयोजन किया है। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य है कि सभी राजस्व कार्मिक पूर्व की उन जरूरी प्रक्रिया और कार्यप्रणाली को वर्तमान में भी जारी रखें जो सही भूमि रिकार्ड और प्रबन्धन के लिए जरूरी है। लम्बे समय से जिन जरूरी प्रक्रियाओं की अनदेखी हुई हैं उनको पुनः व्यवहार में लाया जाए। साथ ही आधुनिक तकनीक का सहयोग लेते हुए भू-रिकार्ड को और अधिक प्रासंगिक और तर्क संगत बनाया जाए, जिससे भूमि व राजस्व से सम्बन्धित विवाद में कमी आ सके।

जिलाधिकारी ने कहा कि भूमि सर्वे, फील्ड रिपोर्ट तैयार करने, रिकार्ड का रखरखाव प्रबन्धन इत्यादि से सम्बन्धित सामने आए बिन्दुओं को तहसील स्तर पर सभी अधीनस्थ कार्मिकों से भी साझा करने और इसके अनुपालन के सभी उप जिलाधिकारियों को निर्देश दिए। साथ ही कहा कि नियमित अन्तराल पर इस तरह के आरिएन्टेड प्रशिक्षण का आयोजन होता रहेगा तथा उन्होंने सभी तहसील स्तरों पर भी नियमित अन्तराल पर इसके आयोजन के निर्देश दिए। जिलाधिकारी ने लैण्ड सर्वे के बेहतर प्रबन्धन हेतु एक एप्लिकेशन का भी प्रजेन्टेशन करवाया। इस एप्लिकेशन में आनलाइन माध्यम से भूमि व खातेधारकों का बहुत सा विवरण स्पष्ट रूप से दर्ज होगा तथा तकनीकी माध्यम होने के चलते भूमि के फर्जीवाड़े नही हो सकेगें। जिलाधिकारी ने सभी उप जिलाधिकारियों को निर्देशित किया कि प्रत्येक तहसील स्तर से 1-1 गांव की मुनादी का विवरण प्रेषित करेंगे तथा भूमि सर्वे में ‘जरीब’ जैसे पुराने पैमाने का उपयोग किया जाए।

प्रशिक्षण गोष्ठी में वरिष्ठ अधिवक्ता प्रेमचन्द्र शर्मा, अरूण सक्सेना आदि अधिवक्ताओं ने राजस्व वादों और भूमि विवाद से जुड़े मामलों में कमी लाने के लिए महत्वपूर्ण समाधान सुझाए। उन्होंने कहा कि राजस्व कार्मिकों का समय-समय पर प्रशिक्षण होता रहे तथा बीच-बीच में होने वाले संशोधन को भी कार्य प्रणाली का हिस्सा बनाते हुए ‘डिजिटलाइज’ प्रक्रिया की ओर अग्रसर होकर रैवेन्यू विवादों को मिनिमाइज किया जा सकता है। इस दौरान गोष्ठी में एनआईसी सभागार में अपर जिलाधिकारी विध्रा बीर सिंह बुदियाल, नगर मजिस्टेट कुश्म चैहान, अधिवक्ता राजीव आचार्य सहित सम्बन्धित उप जिलाधिकारी व अन्य कार्मिक उपस्थित रहे।

उत्तराखंड वार्ता

उत्तराखंड वार्ता समूह संपादक

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